देश के एविएशन सेक्टर में हालिया उथल-पुथल के बाद केंद्र सरकार ने प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की दिशा में निर्णायक कदम उठाया है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने तीन नई एयरलाइंस कंपनियों को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) जारी कर दिया है। इस फैसले के तहत Al हिंद एयर और फ्लाईएक्सप्रेस को हरी झंडी मिल चुकी है, जबकि शंख एयर को पहले ही मंजूरी दी जा चुकी थी। यह फैसला ऐसे समय आया है, जब इंडिगो में उड़ानें रद्द होने और भारी देरी की घटनाओं ने एक ही एयरलाइन पर निर्भरता के जोखिम को उजागर कर दिया था।
नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी देते हुए बताया कि बीते एक हफ्ते में मंत्रालय ने इन तीनों नई एयरलाइंस की टीमों के साथ विस्तृत बातचीत की। उनका कहना है कि नई एयरलाइंस को प्रोत्साहित करना सरकार की प्राथमिकता है, ताकि यात्रियों को ज्यादा विकल्प मिलें और नेटवर्क पर एक या दो कंपनियों का अत्यधिक दबदबा कम हो। फिलहाल भारत के घरेलू विमानन बाजार में इंडिगो और टाटा ग्रुप की एयर इंडिया मिलकर लगभग 90 प्रतिशत यात्री यातायात नियंत्रित करती हैं, जो किसी भी संकट की स्थिति में पूरे सिस्टम को प्रभावित कर सकता है।
हाल ही में इंडिगो को नए क्रू रोस्टर नियमों को लागू करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था, जिसके चलते सैकड़ों उड़ानें रद्द करनी पड़ीं और हजारों यात्रियों को परेशानी हुई। इस घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया कि यदि किसी बड़ी एयरलाइन में संचालन संबंधी समस्या आती है, तो उसका असर पूरे देश की हवाई सेवाओं पर पड़ सकता है। इसी पृष्ठभूमि में सरकार ने नई कंपनियों को आगे लाने का फैसला लिया है।
नई एयरलाइंस की प्रोफाइल पर नजर डालें तो अल हिंद एयर केरल स्थित अल हिंद ग्रुप का हिस्सा है, जबकि फ्लाईएक्सप्रेस को हैदराबाद की एक कूरियर और कार्गो सर्विस कंपनी का समर्थन प्राप्त है। वहीं शंख एयर उत्तर प्रदेश के भीतर और मेट्रो शहरों के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाने पर फोकस करेगी। शंख एयर खासतौर पर लखनऊ, वाराणसी, आगरा और गोरखपुर जैसे शहरों को दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे बड़े महानगरों से जोड़ने की योजना बना रही है।
शंख एयर उत्तर प्रदेश की पहली शेड्यूल्ड एयरलाइन बनने जा रही है। इसके संचालन का मुख्य केंद्र नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट और लखनऊ होगा। कंपनी का इरादा सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित रहने का नहीं है, बल्कि उन दूरदराज इलाकों तक हवाई सेवाएं पहुंचाने का है, जहां अभी विकल्प बेहद सीमित हैं। इससे क्षेत्रीय यात्रियों को सीधा फायदा मिलने की उम्मीद है।
मंत्री नायडू ने यह भी कहा कि मोदी सरकार की नीतियां मेट्रो कनेक्टिविटी के साथ-साथ क्षेत्रीय हवाई नेटवर्क को मजबूत करने पर केंद्रित हैं। उन्होंने उड़ान योजना का जिक्र करते हुए बताया कि इसी नीति के चलते स्टार एयर, इंडिया वन एयर और फ्लाई91 जैसी छोटी एयरलाइंस को नए शहरों तक पहुंच बनाने का मौका मिला है।
हालांकि एनओसी मिलना इस सफर का पहला कदम भर है। अब इन कंपनियों को डीजीसीए से एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट लेना होगा। इसके लिए उन्हें विमान खरीदने या लीज पर लेने, क्रू की नियुक्ति, सुरक्षा प्रणालियों की स्थापना और परीक्षण उड़ानों समेत कई तकनीकी प्रक्रियाएं पूरी करनी होंगी। इन औपचारिकताओं के बाद ही यह साफ होगा कि ये नई एयरलाइंस कब और किन रूट्स से अपनी पहली उड़ानें शुरू कर पाएंगी, लेकिन इतना तय है कि आने वाले समय में भारतीय एविएशन सेक्टर में प्रतिस्पर्धा और विकल्प दोनों बढ़ने वाले हैं।