निवेश की दुनिया में धैर्य की ताकत अगर किसी एक एसेट ने सबसे बेहतर तरीके से साबित की है, तो वह सोना है। बीते एक दशक में इस येलो मेटल ने बिना ज्यादा शोर-शराबे के ऐसा रिटर्न दिया है, जिसने कई निवेशकों की सोच बदल दी। शेयर और डेट भले ही किसी भी पोर्टफोलियो की बुनियाद माने जाते हों, लेकिन सोने ने लंबे समय में स्थिरता के साथ जबरदस्त कमाई कराई है।
दिसंबर 2015 में एमसीएक्स पर सोने की स्पॉट कीमत करीब 25,148 रुपये प्रति 10 ग्राम थी। उस समय अगर किसी निवेशक ने सोने में एक लाख रुपये लगाए होते, तो वह लगभग 40 ग्राम सोना खरीद पाता। वक्त बीतता गया, वैश्विक हालात बदले, महंगाई और अनिश्चितता बढ़ी और सोने की कीमतें धीरे-धीरे ऊपर चढ़ती चली गईं। आज की बात करें तो एमसीएक्स पर सोना 1,36,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास पहुंच चुका है। यानी वही करीब 40 ग्राम सोना अब साढ़े पांच लाख रुपये से ज्यादा की कीमत का हो गया है।
साफ शब्दों में समझें तो 10 साल में सोने ने करीब साढ़े चार गुना तक रिटर्न दिया है। एक लाख रुपये की रकम बढ़कर पांच लाख से ज्यादा हो जाना इस बात का संकेत है कि कठिन वैश्विक माहौल, रुपये में उतार-चढ़ाव और महंगाई के दौर में सोना क्यों सुरक्षित निवेश माना जाता है। यह प्रदर्शन यह भी बताता है कि सिर्फ तेज रफ्तार वाले एसेट ही नहीं, बल्कि संतुलन देने वाले विकल्प भी लंबे समय में बड़ा फर्क पैदा करते हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि सोने की यह मजबूती एसेट एलोकेशन की अहमियत को रेखांकित करती है। इक्विटी से ग्रोथ मिलती है, डेट से स्थिरता आती है और सोना पूरे पोर्टफोलियो को संतुलन देता है। हालांकि, जानकार यह चेतावनी भी देते हैं कि सोने की कीमतें हमेशा सीधी रेखा में ऊपर नहीं जातीं। बीच-बीच में गिरावट और करेक्शन आना स्वाभाविक है, लेकिन लंबी अवधि में इसकी भूमिका बनी रहती है।
आने वाले समय को लेकर भी सोने को लेकर राय सकारात्मक बनी हुई है। भू-राजनीतिक तनाव, सेंट्रल बैंकों की लगातार खरीदारी और गोल्ड ईटीएफ में निवेश इसकी मजबूती को सहारा दे रहे हैं। 2026 तक सोने में 10 से 12 फीसदी तक की बढ़त की संभावना जताई जा रही है। घरेलू बाजार में कीमतें डेढ़ लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर तक जा सकती हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव 4,800 डॉलर के आसपास पहुंचने का अनुमान है।
हालांकि तस्वीर का दूसरा पहलू भी है। अगर वैश्विक जोखिम कम होते हैं या ईटीएफ से पैसा निकलता है, तो 15 से 20 फीसदी तक की गिरावट की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। यही वजह है कि निवेशकों को सलाह दी जाती है कि सोने में एकमुश्त दांव लगाने के बजाय गोल्ड ईटीएफ और एसआईपी जैसे अनुशासित तरीकों से निवेश जारी रखें। उतार-चढ़ाव के बीच यही रणनीति लंबे समय में सोने की चमक को बनाए रख सकती है।