आज की तेज रफ्तार जिंदगी, बदलती खानपान की आदतें और शारीरिक गतिविधियों की कमी ने कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या को काफी आम बना दिया है। जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर तय सीमा से ऊपर चला जाता है, तो इसका असर सिर्फ दिल तक सीमित नहीं रहता, बल्कि हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और दूसरी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में समय रहते लाइफस्टाइल में सुधार करना बेहद जरूरी हो जाता है।
कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में लाने के लिए सबसे अहम भूमिका आपके खाने की होती है। रोज़मर्रा के आहार में ओट्स, जई, दालें, हरी सब्जियां और ताजे फल शामिल करने से शरीर को घुलनशील फाइबर मिलता है, जो खराब कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल को कम करने में मदद करता है। वहीं, तले-भुने, प्रोसेस्ड और पैकेट वाले फूड धीरे-धीरे नसों में जमा होकर समस्या को और बढ़ाते हैं, इसलिए इनसे दूरी बनाना फायदेमंद होता है।
शारीरिक सक्रियता कोलेस्ट्रॉल संतुलन की दूसरी मजबूत कड़ी है। रोज़ाना आधे घंटे की तेज चाल से वॉक, साइकिलिंग, तैराकी या योग न सिर्फ एलडीएल को घटाने में मदद करता है, बल्कि अच्छे कोलेस्ट्रॉल यानी एचडीएल को बढ़ाता है। इससे दिल मजबूत होता है और रक्त प्रवाह बेहतर बना रहता है।
वजन भी कोलेस्ट्रॉल के स्तर से सीधा जुड़ा हुआ है। बढ़ा हुआ वजन शरीर में फैट के असंतुलन को बढ़ाता है, जिससे कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण से बाहर चला जाता है। अगर संतुलित आहार और नियमित व्यायाम के जरिए कुछ किलो वजन भी कम हो जाए, तो कोलेस्ट्रॉल लेवल में साफ सुधार देखा जा सकता है।
इसके साथ ही तनाव और नींद को नजरअंदाज करना भी भारी पड़ सकता है। लगातार तनाव और पूरी नींद न लेना शरीर में ऐसे हार्मोन को बढ़ाता है, जो कोलेस्ट्रॉल को ऊपर धकेलते हैं। रोज़ाना पर्याप्त नींद, मेडिटेशन, गहरी सांस लेने की तकनीक या हल्की एक्सरसाइज से मन को शांत रखना इस समस्या से निपटने में मदद करता है।
कुल मिलाकर, कोलेस्ट्रॉल को काबू में रखने के लिए किसी एक चमत्कारी उपाय की नहीं, बल्कि रोज़ की छोटी लेकिन सही आदतों की जरूरत होती है। सही खानपान, नियमित गतिविधि, संतुलित वजन और मानसिक शांति मिलकर कोलेस्ट्रॉल को धीरे-धीरे सुरक्षित स्तर पर ला सकते हैं। हालांकि, किसी भी बदलाव को अपनाने से पहले डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है।