–अपनी भूलों को स्वीकार कर जीवन में बदलाव करें..
–पीस ऑडिटोरियम में मौन तपस्या कार्यक्रम “व्यक्त से अव्यक्त की ओर”
भिलाई : श्रेष्ठ कर्म से निश्चिन्त रहेंगे धन से नहीं अथॉरिटी के बोल में स्नेह समाया हुआ हो अथॉरिटी के बोल प्यारे नहीं लेकिन प्रभावशाली होते हैं जो जीवन बदलते हैं|
उक्त उद्गार अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू से पधारे पीस ऑफ़ चैनल के सुप्रसिद्ध शो “समाधान” के ओजस्वी वक्ता तपस्वीमूर्त राजयोगी ब्रह्माकुमार सूरज भाई जी ने दो दिवसीय मौन तपस्या कार्यक्रम “व्यक्त से अव्यक्त की ओर” के पहले दिन सेक्टर 7 स्थित पीस ऑडिटोरियम में कही|
ब्रह्माकुमार सूरज भाई जी ने चित्त को शांत करने के उपाय बताते हुए कहा कि जो चित्त को शांत करना सीख ले जो वह ज्ञानी आत्मा है, उलझाने वाली बातें, व्यक्ति तो रहेंगे जीवन में जो थोड़ी बहुत कसर रही है उसे आज हमारे नए परिवार के सदस्य मोबाइल ने पूरी कर दी है | चिंता नहीं श्रेष्ठ चिंतन करेंगे तो चित्त शांत होगा|
कर्म सिद्धांत का अटल सिद्धांत है जिसने जो किया है उसे उसकी फल की प्राप्ति आज नहीं तो कल अवश्य मिलेगी इस धारणा से चित्त शांत रखिए| चित्त को शांत करने के लिए क्षमादान करे | तीनों लोकों का सबसे बड़ा दान क्षमादान है, बड़ी सोच वाले, बड़ी दिलवाले, ही क्षमा कर सकते हैं|
जितना मन शांत एकाग्र है जीवन उतना सुख शांति से भरपूर होगा|
मन छोटी-छोटी बातों में विचलित हो रहा है, मैं और मेरे पन को समाप्त करना पड़ेगा जो जीवन में विघ्न बनकर हमारे सफलता के मार्ग को रोक रही है|
साक्षी भाव का अर्थ बताते हुए आपने कहा कि जीवन के खेल को साक्षी होकर देखें, घटना का प्रभाव हमारे मन पर ना हो|
आपने दुआओं के महत्व को स्पष्ट करते हुए बताया की आने वाले समय में धन दौलत नहीं लेकिन दुआओं के दौलत की डिमांड बढ़ेगी, दुआ मुख से नहीं दिल से निकलती है तब जीवन में रंग लाती है|
जिस दिन मन में व्यर्थ, अशुभ,निगेटिव खत्म हो जाएगा उसी क्षण जीवन में शुभ – लाभ प्रारंभ हो जाएगा|
अपनी भूलों को स्वीकार कर जीवन में बदलाव करें, दृढ संकल्प ले तब परमात्मा मदद मिलेगी|
अपने जीवन में प्रयोग कीजिए ऊपर वाले की भी थोड़ी सुन लो रहम दिल बन सबको माफ करो आगे बढ़ो, जीवन में अप्लाई करो देखो फिर शुभ भावनाओं का चमत्कार|
प्रेषक,
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय,
राजयोग भवन, भिलाई
छत्तीसगढ़, भारत