छत्तीसगढ़ भाजपा मुख्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में 23 जनवरी को हुई बैठक में असर दिखना शुरू कर दिया है ! जहां तय किया गया था कि सप्ताह भर के अंदर सभी 11 लोकसभा क्षेत्र में पार्टी के कार्यालय हर हाल में खुल जाने चाहिए।
राष्ट्रबोध को मिली जानकारी के अनुसार भाजपा प्रदेश मुख्यालय में तीनों क्लस्टर की बैठक हुईं। इसमें तय किया गया कि चुनाव के लिए तीन तरह की प्रबंधन समितियां बनाई जाएगी ।
इन समितियों के संयोजकों कीनन की घोषणा जल्द कर दी जाएगी जबकि इससे पहले लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर 7 अन्य समितियां बनाई जा चुकी है।
छत्तीसगढ़ में लोकसभा की 11 में से 11 सीट जीतने की तैयारी से मैदान में उतरने जा रही भाजपा द्वारा लोकसभा चुनाव में तीन तरह के प्रवास तय किए गए हैं। पहला क्लस्टर प्रवास, दूसरा लोकसभा और तीसरा विधानसभा प्रवास है। इस नई योजना के अंतर्गत सबसे पहले 28 जनवरी को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा राजनांदगांव आ रहे हैं। हर प्रवास के दौरान दो बड़ी बैठक और एक जनसभा या कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।
क्लस्टर प्रवास: इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और तीन पूर्व अध्यक्ष अमित शाह, राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी किसी एक क्लस्टर में आएंगे। यहां वे लोकसभा प्रबंधन समिति की बैठक, प्रबुद्धजनों से मुलाकात और कार्यकर्ता सम्मेलन या जनसभा में शामिल होंगे।
लोकसभा प्रवास: इसमें केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय स्तर के नेता किसी लोकसभा में एक या दो दिन के लिए आएंगे। यहां वे विधानसभा प्रबंधन समिति की बैठक, प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन और जनसभा में शामिल होंगे।
विधानसभा प्रवास: इसमें संगठन के वरिष्ठ नेता, राज्य के मंत्री और वरिष्ठ विधायक विधानसभाओं में जाकर प्रवास करेंगे। वे यहां विधानसभा स्तरीय बैठक लेंगे। जनप्रतिनिधियों की बैठक के अलावा कार्यकर्ता सम्मेलन भी करेंगे।
लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर हुई क्लस्टर बैठक के पहले पार्टी मुख्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े की खास मौजूदगी में महिला सशक्तिकरण और महतारी वंदन योजना में हर साल छत्तीसगढ़ की प्रत्येक विवाहित महिला को 12000 दिए जाने के अलावा लोकसभा चुनाव में नारी शक्ति की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की गई।
छत्तीसगढ़ में भाजपा की जिस तरह से व्यापक स्तर पर तैयारी चल रही है उसके मुकाबले विपक्षी कांग्रेस में शून्य तैयारी नजर आ रही है ! जिसका खामियाजा कांग्रेस को आने वाले लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है।