शौर्यता और बलिदान का स्वर्णिम इतिहास है श्री अयोध्या धाम – दिव्य अग्रवाल  

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महाभारत और रामायण का ज्ञान अधिकतर सनातनी परिवारों को है जिसको वर्तमान से जोड़कर देखना अत्यंत आवश्यक है । महाभारत में प्रभु श्री कृष्ण ,पांडवो का मार्गदर्शन करते हैं युद्ध नहीं और श्री कृष्ण के मार्गदर्शन में पांडव युद्ध करके अधर्मी कौरवों की शक्तिशाली सेना को पराजित करके धर्म को पुनः स्थापित करते हैं । सन्देश स्पष्ट है संघर्ष आपको स्वयं करना होगा जिसका सुगम परिणाम उचित मार्गदर्शन पर निर्भर करता है । श्री अयोध्या जी का संघर्ष सैकड़ो वर्षो पुराना है जिसका सुगम परिणाम प्रभु ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सुनिश्चित किया परन्तु सनातनी समाज को क्या समस्त उम्मीदें किसी एक व्यक्ति के कंधो पर डाल देनी चाहिए, शायद नहीं क्यूंकि जब तक सभ्य समाज स्वयं जागरूक नहीं होगा, संघर्ष हेतु प्रयासरत नहीं होगा तब  तक  उचित नेतृत्व प्राप्त होने के पश्चात भी प्रभावी रूप से क्रियान्वित नहीं होगा ।

संघर्ष कभी विफल नहीं होता आज जब पांच शतकों के पश्चात सनातनी समाज ने अपने गौरव को अयोध्या में प्रभु श्री राम के मंदिर बनने पर पुनः स्थापित किया है उस समय हिन्दू समाज के लोग,धर्माचार्य , मोदी जी के नेतृत्व पर प्रश्न उठा रहे हैं राजनीतिकरण बता रहे हैं तो यह समझना अति आवश्यक है बिना राजनीतिक सामर्थ्य के यह विजय मिलना मुश्किल थी । कभी समय था की पुरे पुरे वर्ष टैंट में विराजे राम लला के वस्त्र बदलने की अनुमति तक तत्कालीन सरकारें दिया नहीं करती थी । राम सबके है परन्तु उन धर्म द्रोहियों के कभी नहीं जिनके कारण देश को आजादी मिलने के पश्चात भी अयोध्या में मंदिर निर्माण नहीं हो सका । कुछ वामंथियों और धर्माचार्यों के षड्यंत्र रुपी गठजोड़ के कारण प्रभु श्री राम लला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के समय को लेकर प्रश्न उठाये गए, अरे साहब यदि आपको अपने मठो से बहार निकाल दिया जाए तो अपने मठो को वापसी प्राप्त करने के अवसर पर आप कोई मुहूर्त नहीं देखोगे तो यह तो प्रभु राम हैं जिनसे ही सारे शुभ मुहूर्त हैं । निश्चित ही भाजपा सरकार साधुवाद की पात्र है जिनका मुख्य उद्देश्य प्रभु श्री राम की मंदिर स्थापना करके भारत के गौरव को समूचे विश्व में स्थापित करना था जिसकी पूर्ति २२.०१.२०२४ में हुई ।

इस गौरव को प्राप्त करने हेतु असंख्य बलिदान हुए परन्तु यह बलिदान भविष्य में न हो अब इसका स्मरण रखना है । सनातन समाज को अपने गौरवमयी , संघर्षशील इतिहास को अजर अमर बनाना होगा अपनी वंशावली को इस इतिहास को पढ़ाना होगा क्यूंकि जो समाज अपने इतिहास का अध्यन नहीं करता स्मरण नहीं करता और भविष्य के लिए तैयार नहीं करता उस समाज का इतिहास , शौर्यता विधर्मियों द्वारा मिटा दी जाती है ।   

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