रूमेटॉइड आर्थराइटिस (RA) एक ऐसी ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता गलती से अपने ही जोड़ों पर हमला कर देती है। नतीजा यह होता है कि जोड़ों में सूजन, दर्द और अकड़न शुरू हो जाती है। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह बीमारी केवल हड्डियों और जोड़ों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि आंखों, फेफड़ों, दिल और अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट बताती है कि 2019 में दुनिया भर में लगभग 1.8 करोड़ लोग RA से पीड़ित थे। इनमें से 70% महिलाएं और 55% मरीज 55 साल से ऊपर की उम्र के थे। वहीं, जर्नल ऑफ द एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया (JAPI) के अनुसार भारत में करीब 50–70 लाख लोग रूमेटॉइड आर्थराइटिस से प्रभावित हैं।
किन्हें ज्यादा होता है खतरा?
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महिलाओं में यह समस्या पुरुषों की तुलना में 2–3 गुना ज्यादा पाई जाती है।
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यह आमतौर पर 40 से 60 साल की उम्र के बीच ज्यादा दिखाई देती है।
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अगर परिवार में पहले किसी को RA रहा हो तो संभावना और बढ़ जाती है।
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धूम्रपान करने वाले, अधिक वजन वाले और प्रदूषण के संपर्क में रहने वाले लोगों में जोखिम ज्यादा रहता है।
रूमेटॉइड आर्थराइटिस के शुरुआती संकेत
यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और इसके लक्षण अक्सर दोनों तरफ के जोड़ों में समान रूप से दिखते हैं। उदाहरण के लिए – दोनों घुटनों या दोनों हाथों की उंगलियों में एक साथ दर्द और सूजन। सामान्य संकेत इस प्रकार हैं:
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सुबह उठने पर जोड़ों में अकड़न।
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लगातार थकान और कमजोरी।
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हाथ-पैरों के छोटे जोड़ों में दर्द।
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हल्की-सी गतिविधि करने पर भी सूजन।
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वजन तेजी से घटना।
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त्वचा पर गर्माहट और लालिमा।
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नींद की कमी और स्ट्रेस।
रूमेटॉइड आर्थराइटिस के चार चरण
ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ डॉ. मिहिर थानवी बताते हैं कि यह बीमारी धीरे-धीरे 4 स्टेज में आगे बढ़ती है:
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पहला स्टेज: केवल सूजन होती है, हड्डियों पर असर नहीं पड़ता।
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दूसरा स्टेज: कार्टिलेज (हड्डियों की परत) को नुकसान पहुंचना शुरू होता है।
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तीसरा स्टेज: हड्डियां प्रभावित होती हैं, जिससे दर्द और जकड़न बढ़ती है।
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अंतिम स्टेज: सूजन कम हो जाती है, लेकिन गतिशीलता लगभग खत्म हो जाती है।
इलाज और प्रबंधन
रूमेटॉइड आर्थराइटिस का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन दवाओं, एक्सरसाइज और लाइफस्टाइल बदलाव से इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।
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नियमित स्ट्रेचिंग और हल्की एक्सरसाइज जोड़ों की लचक बनाए रखने में मदद करती है।
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स्मोकिंग छोड़ना, संतुलित खानपान और वजन को नियंत्रित रखना बेहद जरूरी है।
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गंभीर मामलों में जब दवाओं से फायदा न मिले तो सर्जरी करनी पड़ सकती है।
डाइट में क्या रखें ध्यान?
क्या खाएं
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ओमेगा-3 से भरपूर मछली (सैल्मन, टूना), अलसी, अखरोट।
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हरी पत्तेदार सब्जियां और रंग-बिरंगे फल।
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साबुत अनाज और दालें।
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लो-फैट डेयरी प्रोडक्ट्स।
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हल्दी और अदरक जैसे नेचुरल एंटी-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थ।
क्या न खाएं
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तली-भुनी और ऑयली चीजें।
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ज्यादा मीठा और प्रोसेस्ड फूड।
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रेड मीट और हाई फैट डेयरी।
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अत्यधिक नमक और चीनी।
अगर इलाज न कराया तो खतरे क्या हैं?
समय पर इलाज न मिलने पर RA केवल दर्द और सूजन तक सीमित नहीं रहता, बल्कि ये गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है:
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हड्डियों और जोड़ों में स्थायी विकृति।
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ऑस्टियोपोरोसिस।
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हार्ट और फेफड़ों की बीमारियां।
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आंखों की समस्या, मुंह सूखना।
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कार्पल टनल सिंड्रोम।
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कैंसर (लिंफोमा) का खतरा।
✅ निष्कर्ष
रूमेटॉइड आर्थराइटिस को पूरी तरह खत्म करना संभव नहीं है, लेकिन समय पर पहचान, डॉक्टर की सलाह और लाइफस्टाइल मैनेजमेंट से इसे काफी हद तक काबू किया जा सकता है। अगर आपके जोड़ों में लगातार दर्द या अकड़न रहती है, तो इसे नजरअंदाज न करें और तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लें।