गिलोय (Giloy) आयुर्वेद में विशेष महत्व रखती है। इसे ‘अमृता’ कहा जाता है क्योंकि इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने वाले अनेक गुण पाए जाते हैं। खास बात यह है कि यह बेल कम जगह और थोड़ी देखभाल में भी तेजी से बढ़ जाती है। यही वजह है कि लोग अब इसे घरों में गमले या आंगन में लगाने लगे हैं।
गिलोय लगाने का सही मौसम
गिलोय को गर्म और नम जलवायु सबसे ज्यादा पसंद है।
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इसे लगाने का आदर्श समय फरवरी से जून तक माना जाता है।
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इस अवधि में पौधा जल्दी जड़ पकड़ता है और मजबूत बेल बन जाती है।
किन चीजों की होगी जरूरत?
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गिलोय की ताजी 6–8 इंच लंबी डंडी (कटिंग)
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गमला या घर का खाली स्थान
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उपजाऊ मिट्टी
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गोबर की खाद या जैविक खाद
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हल्की सिंचाई के लिए पानी
गिलोय लगाने की विधि
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सबसे पहले गिलोय की डंडी को 2–3 इंच गहराई तक मिट्टी में दबा दें।
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यदि जमीन पर लगा रहे हैं तो इसे दीवार, पेड़ या किसी मजबूत सहारे के पास लगाएं ताकि बेल ऊपर चढ़ सके।
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गमले की मिट्टी में खाद या गोबर की खाद मिलाने से पौधे को जल्दी पोषण मिलेगा।
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मिट्टी हमेशा हल्की नमी वाली होनी चाहिए।
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गर्मियों में हफ्ते में 2–3 बार पानी दें।
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सर्दियों में केवल जरूरत पड़ने पर ही पानी डालें।
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देखभाल और बढ़वार
गिलोय को धूप और छांव दोनों जगह लगाया जा सकता है, लेकिन हल्की धूप में यह तेजी से बढ़ती है। इसकी बेल हरे-भरे वातावरण के साथ घर को भी प्राकृतिक ताजगी देती है।
कब मिलेगी फसल?
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गिलोय की बेल लगाने के 8–10 महीने बाद उसकी डंडी उपयोग के लायक हो जाती है।
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जितनी पुरानी बेल होगी, उसके औषधीय गुण उतने ही प्रबल होंगे।
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डंडी को धोकर सीधे चबाया जा सकता है या इसका काढ़ा बनाकर सेवन किया जा सकता है।
इस तरह थोड़ी सी जगह और थोड़ी देखभाल से आप घर पर ही इम्यूनिटी बढ़ाने वाली गिलोय की बेल उगा सकते हैं।