पेरेंटिंग गाइड: 9 साल की बेटी अलग कमरे में क्यों नहीं सोती? उसे स्वतंत्र कैसे बनाएं

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सवाल (इंदौर से):
मेरी बेटी 9 साल की है। लेकिन अब भी रात को अकेले कमरे में नहीं सो पाती। उसे अंधेरे से डर लगता है और बार-बार कहती है कि सपना आता है कि हम कहीं चले गए हैं। वह रोने भी लगती है। हमें लगता है कि अब उसे खुद के कमरे में सोने की आदत डालनी चाहिए ताकि वह आत्मनिर्भर बन सके। लेकिन डर है कि कहीं यह बदलाव उसके आत्मविश्वास को चोट न पहुंचाए। सही समय और तरीका क्या होना चाहिए?


एक्सपर्ट राय: डॉ. अमिता श्रृंगी, फैमिली एंड चाइल्ड काउंसलर, जयपुर

आपकी चिंता बिल्कुल सामान्य है। ज्यादातर पेरेंट्स इस स्थिति से गुजरते हैं। बच्चा जब तक मां-बाप के पास सोता है, उसे वही सबसे सुरक्षित जगह लगती है। यह उसके लिए प्यार और सुरक्षा का प्रतीक है। लेकिन अब उम्र आ गई है कि उसमें स्वतंत्रता की आदत भी धीरे-धीरे डाली जाए।


हेल्दी पेरेंटिंग = प्यार + आज़ादी

पालन-पोषण का असली मतलब है बच्चे को ऐसा माहौल देना, जिसमें वह प्यार भी महसूस करे और धीरे-धीरे खुद पर निर्भर होना भी सीखे।

  • छोटे कामों से शुरुआत करें—जैसे खुद पानी लेना, अपना सामान रखना, डस्टबिन में चीजें डालना।

  • जब वह ये छोटे काम करता है, तो उसकी तारीफ करें। इससे उसे लगेगा कि वह “बड़ा” हो गया है।

  • धीरे-धीरे उसमें जिम्मेदारी और आत्मविश्वास विकसित होगा।


बचपन से स्वावलंबन क्यों ज़रूरी?

अगर बच्चा बढ़ती उम्र में भी हर छोटे-बड़े काम के लिए पेरेंट्स पर निर्भर रहता है, तो यह संकेत है कि पालन-पोषण में अत्यधिक लाड़-प्यार ने उसे डिपेंडेंट बना दिया है

  • जब हर काम मां-बाप ही कर दें—खाना खिलाना, कपड़े पहनाना, सामान पकड़ाना—तो बच्चा निर्णय लेने और आत्मविश्वास की क्षमता खो देता है।

  • ऐसे बच्चे हर समय किसी न किसी पर सहारा ढूंढते हैं।


अकेले सोने की आदत डालने के कदम

  • बच्चे को अचानक से अलग न करें। यह तरीका उसे असुरक्षित और अस्वीकृत महसूस करा सकता है।

  • शुरुआत में उसके कमरे की लाइट हल्की जलती रहने दें।

  • आप थोड़ी देर उसके पास बैठें और फिर धीरे-धीरे समय घटाएं।

  • अगर वह डर जाए तो उसे आश्वासन दें कि आप पास ही हैं।

  • सोने से पहले प्यारी कहानियां या हल्की-फुल्की बातें करने से उसका डर कम होगा।


याद रखें

अकेले सोना कोई सजा नहीं, बल्कि बच्चे के आत्मनिर्भर बनने का एक कदम है। यह तभी संभव है जब वह खुद को सुरक्षित महसूस करे। इसलिए पहले उसकी भावनाओं को समझें और फिर धीरे-धीरे उसे स्वतंत्र बनने के लिए प्रेरित करें।


निचोड़:
बच्चे को अलग सोने की आदत डालना एक प्रक्रिया है। यह धीरे-धीरे, प्यार और धैर्य के साथ करना चाहिए। जब बच्चा सुरक्षित और जुड़ा हुआ महसूस करता है, तभी वह आत्मनिर्भर बन पाता है।

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