सर्दियों में क्यों बढ़ जाता है ब्लड प्रेशर: ठंड से सिकुड़ती ब्लड वेसल्स, डॉक्टर बताते हैं विंटर बीपी मैनेजमेंट का सही तरीका

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सर्दियों के आते ही शरीर कई तरह से प्रतिक्रिया करता है, और इन्हीं बदलावों में सबसे चिंताजनक बदलाव है ब्लड प्रेशर का बढ़ना। डॉक्टरों के अनुसार ठंड पड़ते ही ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाती हैं, जिससे दिल को सामान्य से ज्यादा ताकत लगाकर खून पंप करना पड़ता है। यही वजह है कि सर्द मौसम में ब्लड प्रेशर अक्सर बढ़ जाता है। यह समस्या उन लोगों में ज्यादा देखी जाती है जिन्हें पहले से हाई बीपी, डायबिटीज, हार्ट रोग या किडनी की दिक्कतें हैं। अचानक मौसम बदलने या शीतलहर आने पर भी बीपी बढ़ सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2024 की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में 30 से 79 वर्ष की आयु के करीब 1400 करोड़ वयस्कों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या थी। इनमें से लगभग 60 करोड़ लोगों को यह भी पता नहीं था कि वे हाई बीपी से पीड़ित हैं। यदि यह समस्या लंबे समय तक अनियंत्रित रहे तो हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी बीमारियों और आंखों की रोशनी पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए सर्दियों में बीपी मैनेजमेंट बेहद जरूरी हो जाता है।

डॉ. अमर सिंघल, डायरेक्टर, कार्डियोलॉजी एंड इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट (दिल्ली) बताते हैं कि ब्लड प्रेशर वह दबाव है जो दिल द्वारा पंप किए गए खून से ब्लड वेसल्स पर पड़ता है। इसे दो हिस्सों में मापा जाता है—सिस्टोलिक प्रेशर, जो दिल के धड़कने पर बनता है और डायस्टोलिक प्रेशर, जो दिल के आराम की स्थिति में रहता है।

सर्दियों में ब्लड प्रेशर बढ़ने की मुख्य वजह ठंड के कारण ब्लड वेसल्स का सिकुड़ना है, जिसे वैसोकॉन्सट्रिक्शन कहा जाता है। ठंड के कारण शरीर का पानी कम होना, प्यास महसूस न होना और कम पानी पीना भी डिहाइड्रेशन पैदा कर देता है, जो बीपी को और बढ़ा सकता है। इसके अलावा सर्दियों में आलस बढ़ने के कारण लोग कम सक्रिय रहते हैं, जिससे भी बीपी अनियंत्रित हो सकता है।

उम्रदराज़ लोग, डायबिटीज और दिल के मरीज, मोटापे से ग्रसित लोग और परिवार में बीपी का इतिहास रखने वालों को सर्दियों में अधिक सतर्क रहने की जरूरत होती है। यदि हाई बीपी अनदेखा कर दिया जाए तो हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी डैमेज, आंखों की रोशनी कमजोर होना और हार्ट फेल जैसे गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। सिरदर्द, चक्कर आना, घबराहट, सीने में भारीपन और सांस फूलना—ये सभी संकेत बताते हैं कि ब्लड प्रेशर सामान्य से ऊपर जा रहा है और समय पर इसकी जांच और उपचार जरूरी है।

सर्दियों में ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना मुश्किल काम नहीं है, बस कुछ आदतें नियमित रूप से अपनानी होती हैं। सबसे पहले रोज सुबह-शाम बीपी की जांच करनी चाहिए, क्योंकि इस मौसम में बीपी तेजी से ऊपर-नीचे होता है। यदि रीडिंग बार-बार 140/90 से ज्यादा आए, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। खानपान में हल्के और कम नमक वाले आहार को प्राथमिकता दें। रेडी-टू-ईट सूप, अचार और प्रोसेस्ड फूड में नमक की मात्रा अधिक होती है, इसलिए इन्हें कम करें। इसके बजाय फल, हरी सब्जियां, ओट्स और फाइबर से भरपूर भोजन लें। सर्दी में कम प्यास लगती है, लेकिन पानी कम पीना बीपी को बढ़ा सकता है। इसलिए दिन में 2–2.5 लीटर पानी, गुनगुना पानी या हर्बल टी लेना फायदेमंद है।

शारीरिक गतिविधि भी सर्दियों में बेहद जरूरी है। हल्की वॉक, योग, स्ट्रेचिंग या घर पर की जाने वाली आसान एक्सरसाइज—कम से कम 30 मिनट रोजाना शामिल करनी चाहिए। सर्दियों में धूप कम मिलती है, जिससे तनाव बढ़ सकता है, इसलिए मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग और हल्का शांत संगीत भी मन को स्थिर रखने में मदद करता है। यदि आप बीपी की दवा ले रहे हैं, तो डॉक्टर से यह जानना जरूरी है कि क्या ठंड के मौसम में डोज बदलने की जरूरत है। अपनी दवाओं को सूखी और सुरक्षित जगह पर रखें।

ठंड से बचाव भी उतना ही जरूरी है, क्योंकि तापमान गिरते ही ब्लड वेसल्स तेजी से सिकुड़ती हैं। इसलिए गर्म कपड़े पहनें, घर में हीटर का उपयोग करें और अत्यधिक ठंड में बाहर जाने से बचें। नियमित जांच, सही समय पर डॉक्टर की सलाह और नमक, पानी, कसरत व तनाव—इन चार चीजों पर नियंत्रण रखकर सर्दियों में ब्लड प्रेशर को पूरी तरह नियंत्रण में रखा जा सकता है।

यदि आपको चक्कर, धड़कन बढ़ना, सिरदर्द, उलझन या सीने में जकड़न जैसे लक्षण महसूस हों, तो तुरंत मेडिकल सहायता लें। सर्दियों में सही ध्यान और सतर्कता अपनाकर आप न सिर्फ अपने ब्लड प्रेशर को संतुलित रख सकते हैं, बल्कि पूरे शरीर की सेहत को सुरक्षित रख सकते हैं।

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