गुड़ को भारतीय रसोई में हमेशा से एक हेल्दी मिठास माना जाता रहा है। आयुर्वेद भी इसे खून बढ़ाने, पाचन दुरुस्त करने और सर्दी-जुकाम में राहत देने वाला खाद्य बताता है। लेकिन यही गुड़, जब जरूरत से ज्यादा खा लिया जाए, तो इसके फायदे उलटी दिशा में मुड़ जाते हैं और शरीर कई परेशानियों से घिर सकता है। नेचुरल शुगर होने के बावजूद गुड़ का ग्लाइसेमिक इंडेक्स, कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट मात्रा काफी ऊंची होती है। इसलिए ओवरकंजम्पशन कई बार स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा देता है—और यह नुकसान धीरे-धीरे असर दिखाता है।
सबसे पहले बात करें ब्लड शुगर की। गुड़ को शुगर का बेहतर विकल्प कहा जाता है, लेकिन इसमें मौजूद सुक्रोज और कैलोरी रक्त शर्करा को तेज़ी से ऊपर ले जाती हैं। डायबिटीज या प्री-डायबिटीज वाले लोगों के लिए यह और ज्यादा जोखिम भरा है। जब शरीर में इंसुलिन एकदम से बढ़ता है, तो थकान, चक्कर, कमजोरी और बेतरतीब भूख जैसे लक्षण उभरने लगते हैं। यानी मीठा स्वाद भले अच्छा लगे, पर यह शरीर पर दबाव भी बढ़ाता है।
ज्यादा गुड़ खाने से वजन बढ़ने का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। गुड़ हाई-कैलोरी फूड है और रोज़ाना 20–25 ग्राम से ज्यादा सेवन करने पर अतिरिक्त कैलोरी फैट के रूप में जमा होने लगती है—खासकर पेट और कमर के आसपास। जिन लोगों का लक्ष्य वजन कम करना है, उनके लिए गुड़ की ज्यादा मात्रा उल्टा असर कर सकती है, भले वे इसे चीनी से ज्यादा हेल्दी मानते हों।
गुड़ की चिपचिपाहट एक और समस्या पैदा करती है—दांतों की सड़न। गुड़ दांतों पर आसानी से चिपक जाता है और मुंह के बैक्टीरिया को तेजी से बढ़ाता है। यह बैक्टीरिया कैविटी, प्लाक और दांतों की सड़न का बड़ा कारण बनते हैं। खासकर बच्चे गुड़ खाने के बाद अगर ब्रश या कुल्ला न करें तो यह सबसे पहले उन्हीं को प्रभावित करता है।
पाचन के लिए गुड़ फायदेमंद माना जाता है, लेकिन अधिक मात्रा में यही पेट की सेहत बिगाड़ सकता है। हाई शुगर कंटेंट आंतों में किण्वन बढ़ा देता है, जिससे पेट फूलना, गैस, एसिडिटी और डायरिया जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं। कई लोग ज्यादा गुड़ खाने के बाद पेट में भारीपन या असहजता महसूस करते हैं—यह शरीर का संकेत है कि मात्रा को तुरंत घटाने की जरूरत है।
एक और बड़ा असर त्वचा पर दिखता है। ज्यादा शुगर हार्मोनल असंतुलन बढ़ाती है और इससे चेहरे पर पिंपल्स, ऑयलीनेस और रैशेज जैसी समस्याएं उभरने लगती हैं। सीबम प्रोडक्शन बढ़ने से एक्ने का खतरा दोगुना हो जाता है। जो लोग स्किन को लेकर पहले से चिंतित रहते हैं, उन्हें गुड़ सीमित मात्रा में ही खाना चाहिए।
कुछ लोगों में गुड़ एलर्जी और साइनस को भी ट्रिगर कर सकता है। यह शरीर में म्यूकस प्रोडक्शन बढ़ाता है, जिससे सांस में भारीपन, छींक और गले में खुजली बढ़ सकती है। विशेष रूप से जिन लोगों को पहले से रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम है, उन्हें इसकी मात्रा नियंत्रित रखनी चाहिए।
गुड़ फायदेमंद है, इसमें कोई शक नहीं—लेकिन किसी भी चीज़ की तरह संतुलन सबसे जरूरी है। जरूरत से ज्यादा सेवन से शरीर को राहत नहीं, बल्कि खतरा बढ़ सकता है। इसलिए गुड़ को हेल्दी मिठास की तरह लें, पर सीमित मात्रा में रहने की आदत जरूर डालें।