Leg Cramps: पैरों में बार-बार पड़ने वाली ऐंठन को हल्के में न लें, हो सकती है कई गंभीर परेशानियों की शुरुआत

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अचानक पैरों में तेज दर्द के साथ मांसपेशियों का अकड़ जाना अक्सर लोग मामूली समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन बार-बार होने वाले लेग क्रैम्प्स शरीर की अंदरूनी गड़बड़ियों का संकेत भी हो सकते हैं। खासकर रात में नींद के दौरान या चलते-फिरते अचानक पैर में ऐंठन पड़ना इस बात की चेतावनी हो सकता है कि शरीर में कुछ ठीक नहीं चल रहा। यह समस्या केवल थकान तक सीमित नहीं रहती, बल्कि पोषण की कमी से लेकर नसों और रक्त संचार से जुड़ी बीमारियों की शुरुआती दस्तक भी हो सकती है।

पैरों में क्रैम्प आने की सबसे आम वजह डिहाइड्रेशन मानी जाती है। जब शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है, तो इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बिगड़ने लगता है। इसका सीधा असर मांसपेशियों पर पड़ता है और वे अचानक सिकुड़ जाती हैं, जिससे तेज दर्द महसूस होता है। इसके अलावा मैग्नीशियम, पोटैशियम और कैल्शियम जैसे जरूरी मिनरल्स की कमी भी पैरों में ऐंठन की बड़ी वजह बनती है। ये मिनरल्स मांसपेशियों को सही तरीके से काम करने में मदद करते हैं और इनकी कमी से मसल्स बार-बार जकड़ने लगती हैं।

अगर क्रैम्प के साथ पैरों में झनझनाहट, सुन्नपन या जलन जैसा एहसास हो, तो यह नसों से जुड़ी समस्या का संकेत हो सकता है। डायबिटिक न्यूरोपैथी या रीढ़ की हड्डी से संबंधित बीमारियों में पैरों की नसें प्रभावित होती हैं, जिससे ऐंठन की शिकायत बढ़ जाती है। वहीं, पैरों तक खून का सही तरीके से न पहुंचना भी क्रैम्प्स की वजह बन सकता है। परिधीय धमनी रोग जैसी स्थितियों में चलने या सीढ़ियां चढ़ने पर पैरों में दर्द और जकड़न महसूस होती है, जिसे नजरअंदाज करना दिल की बीमारियों के खतरे को बढ़ा सकता है।

ज्यादा एक्सरसाइज करना, बिना स्ट्रेचिंग के भारी शारीरिक मेहनत करना या लंबे समय तक एक ही स्थिति में खड़े रहना भी मांसपेशियों पर अतिरिक्त दबाव डालता है। इसका असर अक्सर रात में दिखाई देता है, जब पिंडलियों में तेज ऐंठन पड़ने लगती है। इसके अलावा कुछ दवाएं भी इस समस्या को बढ़ा सकती हैं। ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल या पेशाब बढ़ाने वाली दवाएं शरीर से जरूरी मिनरल्स बाहर निकाल देती हैं, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी और ऐंठन होने लगती है।

अगर पैरों में आने वाले क्रैम्प्स बहुत ज्यादा दर्दनाक हों, बार-बार हों, उनके साथ सूजन, कमजोरी या चलने में दिक्कत महसूस हो, तो इसे बिल्कुल भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। ऐसे मामलों में समय रहते डॉक्टर से जांच कराना जरूरी है, ताकि किसी गंभीर बीमारी की पहचान शुरुआती दौर में हो सके।

(डिस्क्लेमर: यह जानकारी केवल सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।)

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